मेरा रिव्यु असल में रिव्यु नहीं, बातें और भावनाए है जो में फिल्म और सीरीज देख़ने के बाद व्यक्त करता हूँ।

लगभग पिछले दो साल से मैं मिर्ज़ापुर के रिलीज़ होने का इंतज़ार कर रहा था, और जब देखना शुरू किया तो इंतज़ार से लम्बा एपिसोड लगा।

मिर्ज़ापुर हमारे घर में कुत्ते बिल्लियों की तरह लड़ते बच्चो की कहानी है, जो किसी भी चीज़ के लिए लड़ते रहते है, ये मेरा है नहीं मेरा है नहीं इसका है, असल में है पापाजी का ही, और पापा को पता है किसी को कुछ नहीं मिलना लड़ते रहने दो, पर सीजन 2 में पापाजी भी CM की कुर्सी के चक्कर में पड़ गए, बस फर्क इतना है की घर में मारते है और मिर्ज़ापुर में मारदेते है।

The main theme of Mirzapur was the throne of Mirzapur i.e. Mirzapur Ki Gaddi, but this time the Mirzapur gaddi was confused with “CM Ki Kursi”, and “Mirzapur Ki Gaddi” looked like “Baccho Ki Kursi”, ziddi kids were fighting, while elders looking forward to “CM ki Kursi”.

कहानी बड़ी लम्बी लगती है, binge मैं चाहते हुए भी नहीं कर पाया, इस बार dailogues में कही कही आपको नडियाद वाला की फिल्मो जैसी कॉमेडी भी दिखेगी और क्लाइमेक्स में प्रियदर्शन की फिल्मो जैसी भागमभाग भी लगेगी, जैसे दसवे एपिसोड में अचानक डायरेक्टर को याद आया हो की ख़तम करना है।

फिर भी सीरीज एक बार देखने लायक है, women empowerment के लिए, रोबिन के लिए, माधुरी और त्यागी के लिए जो इस सीजन में नए आए है।

The Cast: This time few new interesting characters were introduced, I liked Robin, Madhuri & Chote Tyagi. rest all were unequally divided, with Kaleen Bhaiya getting the highest screen time.

Who should watch: All fans of Mirzapur 1, looking for disappointment.

Binge Value: Watch with fursat, all episodes look lengthy

Ridiculous Rating – 3/5