चेहरे है, मुखौटे है
कुछ मेरे है, कुछ सबके है
कही मुखौटे पहचान है
कही पहचान की तलाश है
मैं नहीं अब मुखौटे पास है
मेरे चेहरे में अब क्या ख़ास है
मुखौटे में ही शायद कोई बात है
मैं नहीं पहनता
तो वो पहना जाते है
यही ज़रूरत है
ये बताते है
ग़म में मुस्कुराहट दिखाते है
फिर ना जाने क्यों मुस्कुराहट छिपाते है
मैं खुश तो हूँ
पर क्यों दिखता नहीं
ये मैं तो हूँ पर मैं नहीं
नहीं चाहिए ये मुखौटे
ये मैं ही हूँ
पर कोई मानता नहीं
मुझे यहाँ अब कोई जानता नहीं
जो जानता है वो पहचानता नहीं
शायद,
अब ये मुखौटा नहीं तो पहचान नहीं