चल रही हे
तब तक चलने दो…
हँसी से, ख़ुशी से, मज़े से…
किसी को भूल कर
कुछ भुला कर,
कुछ आंसुओं,
कुछ मुस्कुराहटों के साथ…
चलने दो…
कुछ ठहर कर,
कुछ कदम साथ चलकर,
कुछ अकेले यूँ ही
गुन गुनाकर…
चलने दो…
थोड़ी ख़्वाबों से…
थोड़ी हक़ीक़त से
दोस्ती कर,
रास्ता आसान भी हे
और मुश्किल भी…
पर चलने दो…
जब तक चलती हे…
ये नब्ज़
चलने दो…