दोस्ती
चलो फिर से दोस्ती करते हैं। लाईक शेयर कमेंट से अलग कहीं कटी बट्टी करते हैं…
अनजान चैनल का बेल आइकॉन नहीं… अनजान घरों की घंटी बजाके भागते हैं …
आज फिर फ्रेंडशिप मैसेज की जगह फ़्रेंड्शिप बैंड को बाँधते हैं। प्लेस्टेशन भूल कर लुक्का छुपी खेलते हैं …
कुछ नंबर हैं अपने मोबाइल में कुछ नामों के साथ… आज फिर उन्हें डायल करते हैं … दोस्त को ना सही उनकी मम्मी को ही “नमस्ते आंटी कैसे हैं आप?” बोलते हैं। …
जिस क्रश को कभी अपने दोस्त के साथ छुप-छुप कर देखते थे… चलो उस दोस्त को बताते हैं, आज छुप-छुप कर उसे फ़ेसबुक पर देखते हैं। …
आज उसे कहतें हैं जो कभी क्रश की याद दिलाता था, आज क्रश उसकी याद दिलाता है। बहुत उधारी की थी कभी, आज उधारी को और बढ़ाते हैं…… कैंटीन के चाय समोसे खाते हैं, चलो आज फिर वही दोस्ती जीते हैं…