Coffee मेरी
आज फिर मिला उस से…
एक अरसे बाद…
रोज़ बुलाती थी..
पर कुछ बहाने से टाल देता था उसे..
जब भी गुज़रता था नज़दीक से …
उसकी ख़ुश्बू मुझे दुनिया भूलादेती थी…
फिर भी ignore करके निकल जाता था…
पार आज कुछ बहना मुझे रोक ना पाया…
एक balcony ने…
एक लड़की ने…
एक शहर ने एक ख़्वाब ने…
मुझे फिर इस से मिला ही दिया…
कुछ उसके साथ या शायद ख़ुद के साथ….
आज मिलवा ही दिया मुझे….
बेजान ही सही पर एक ज़िद्दी दोस्त की तरह बुला ही दिया मुझे….
ये हे Coffee मेरी…