चलो आज फिर अपने गाँव घूम आए..
चलो आज फिर अपने गाँव घूम आएं…
वो रसीले आम और वह कच्ची कैरी तोड़ आएं…
नाना नानी, दादा दादी के साथ कुछ पल बिताएं …
चलो आज फिर कुँए में डुबकी लगाएं…
कुछ सूखी लकड़ियाँ और कुछ सफ़ेद भूरे पत्थरों से एक छोटा-सा घर बनाएं
और घर के आँगन में आज फिर गुड्डे गुड़ियाँ की शादी कराएं…
कभी ज़मीन में छुपा कर जो आए थे एक निशानी…
आज फिर उस निशानी को ढूंढ आएं…
चलो आज फिर अपने गाँव घूम आएं…
नानी दादी की वह कहानिया जो आज झूठी-सी लगती हे
चलो आज फिर उन्हें सच्चा मान आएं…
पेड़ पर बैठे भूत और ज़मीन में गड़े ख़ज़ाने को ढूंढ आएं…
बहुत धूप है इस शहर में…
आज फिर उस पेड़ की छाँव में
सुकून से झूला झूल आएं…
चलो आज फिर अपने गाँव घूम आएं.।