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About Da

The Piano Girl

The Piano GirlThe night was still and peaceful, the stars twinkling softly in the night sky. She sat in the corner of the room, illuminated by a single candle,…
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पर मैं तो छुट्टी पर हूँ!

“पर मैं तो छुट्टी पर हूँ”कहता है दिमाग़ मेराजब वो कुछ सोचना नहीं चाहता कोई कुछ पूछने आता हैमैं कहता हूँ दिमाग़ से “भाई, कुछ सोच ना “वो झट से…
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पर मैं तो छुट्टी पर हूँ

बचपन के खिलौने

कई सालो बाद आज एक पुराने दोस्त से मुलाक़ात हुई, वही पास ही उसका घर था, जिद करके वो मुझे अपने घर ले गया, बोला साथ कॉफ़ी पिएँगे, अब…
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Environment

नदी का काम था बहना… सदियों से.. किसी ने रास्ते में घर बना दिया… आज

बेटियाँ

कभी बारिश की बूँदों सी कभी सुबह की ओस सी कड़ी धूप में छांव सी सर्दियों में हल्की धूप सी आँखो के कोनों की मुस्कुराहट सी दिल में एक अजीब – सी हलचल सी फूलो में सौंधी – सी ख़ुशबू सी कांटो में हल्की – सी चुभन सी… ख़ास होती है…

मज़ा ही कुछ और है

हर कोई अकेले चल सकता है,  पर साथ मिलकर चलने का मज़ा ही कुछ और है,  यू तो बारिश में बहुत लोग रोते हैं,  पर छतरी में किसी का हाथ पकड़ कर चलने का मज़ा ही कुछ और है,  खो जाते हैं कई लोग दुनिया की इस भीड़ में… ढूँढ निकाले जो हमें उस भीड़ से,  उस रिश्ते का मज़ा ही कुछ और है

चलो आज फिर अपने गाँव घूम आए..

चलो आज फिर अपने गाँव घूम आएं… वो रसीले आम और वह कच्ची कैरी तोड़ आएं…  नाना नानी, दादा दादी के साथ कुछ पल बिताएं … चलो आज फिर कुँए में डुबकी लगाएं…  कुछ सूखी लकड़ियाँ और कुछ सफ़ेद भूरे पत्थरों से एक छोटा-सा घर बनाएं और घर के आँगन में आज फिर गुड्डे गुड़ियाँ की शादी कराएं…  कभी ज़मीन में छुपा कर जो आए थे एक निशानी…  आज फिर उस निशानी को ढूंढ आएं…  चलो आज फिर अपने गाँव घूम आएं… नानी दादी की वह कहानिया जो आज झूठी-सी लगती हे चलो आज फिर उन्हें सच्चा मान आएं… पेड़ पर बैठे भूत और ज़मीन में गड़े ख़ज़ाने को ढूंढ आएं…  बहुत धूप है इस शहर में…  आज फिर उस पेड़ की छाँव में सुकून से झूला झूल आएं… 

बचपन ज़िंदा है

अगर आज भी तुम्हें क्रिसमस की रात को सैंटा का इंटेज़ार है तो समझो बचपन

एक ख़्वाब

एक ख़्वाब जो उसने देखा था, कब सच होगा उसे पता नहीं,वो चलता रहा वो

Coffee मेरी

आज फिर मिला उस से… एक अरसे बाद… रोज़ बुलाती थी.. पर कुछ बहाने से

हैपी माँ दिवस

कभी झाड़ू से मार भी था, फिर चुप से मल्हम लगाया भी था.. कभी मेले

इमोशनल गली

इमोशनल गली..रोज़ भागते हे उस सेफिर भी रोज़ गुज़रते हे वहाँ से।रोज़ कहते हे बुरी